28 सालों से देख रहे पदोन्नति की राह
श्रीनगर गढ़वाल। गढ़वाल केंद्रीय विवि में 28 सालों से एलडीसी (नैत्यिक लिपिक) पद पर कार्यरत कर्मचारी पदोन्नति की राह ताक रहे हैं। हैरत की बात है कि एक जनवरी 1994 को एलडीसी पद पर नियुक्ति होने के बाद अभी तक उन्हें एक भी प्रमोशन नहीं मिल पाया। जबकि वह तीन-तीन प्रमोशन के हकदार हैं। इससे उन्हें आर्थिक एवं मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। कई बार मांग करने के बावजूद विवि प्रशासन की ओर से उनकी पदोन्नति की राह नहीं खोली गई है। यहां तक कि 2009 में गढ़वाल विवि के केंद्रीय विवि बनने का भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिल पाया है। गढ़वाल केंद्रीय विवि में करीब डेढ़ सौ एलडीसी हैं। इनमें से कई कर्मचारियों की सेवाएं 18 साल से ऊपर हो गई हैं। जबकि डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी एलडीसी पद पर ही नियमित सेवाएं 28 साल से अधिक हो गई हैं। जबकि पांच वर्षों की इनकी सेवाएं दैनिक रूप में भी हैं। इतने सालों से एक भी पदोन्नति न होने के कारण इन कर्मचारियों को बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त होना पड़ रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि विवि द्वारा पदो के रेशनलाइजेशन में ग्रेड पे 2400 तक के सभी कर्मचारियों को केंद्रीय विवि बनने की तिथि से यूडीसी माना गया है। लेकिन उक्त तिथि में 14 वर्षों की नियमित और संतोषजनक सेवा एवं समय मान वेतनमान(4000-6000)छठवें वेतन आयोग के अनुसार ग्रेड पे 2400 दिया गया। एक जनवरी 2008 से ग्रेड पे 2400 का आहरण करने पश्चात भी विवि द्वारा नैत्यिक लिपिक एलडीसी तथा ग्रेड पे 1900 ही दर्शाया गया। जो कि न्यायोचित नहीं है। कहा रेशनालाइजेशन में गड़बड़ियों के कारण उनके पदोन्नति के अवसर नगण्य हो गए हैं। उन्होंने 10 वर्ष, 16 वर्ष एवं 26 वर्ष की सेवा के आधार पर पदोन्नति व एसीपी का लाभ प्रदान किए जाने की मांग की है। कहा इस मामले में कोर्ट का निर्णय भी आ चुका है, लेकिन विवि स्तर से कोई कार्यवाही नहीं हुई।