माया का एकला चलो फैसला आत्मघाती, कई सांसद नये ठिकाने की तलाश में
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के बाद बसपा के नेताओं में दुविधा का माहौल है.लगातार गिरता बसपा का जनाधार और उस पर बहनजी के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले से राजनीति के जानकार आर्श्चयचकित हैं.जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अपने अकेले के दम पर मोदी को टक्कर देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हों तब मायावती का एकला चलो का फैसला बसपा के लिए आत्मघाती भी साबित हो सकता है.बसपा को चुनाव लड़ने के लिए दमदार प्रत्याशियों का भी टोटा पड़ सकता है.वैसे भी बसपा के कई सांसद मायावती के फैसले से हैरान-परेशान हैं.चुनाव से पूर्व बसपा में भगदड़ जैसा माहौल नजर आये तो किसी को अचंभित नहीं होना चाहिए.
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने एकला चलो का जो फैसला किया है उसके खिलाफ बीएसपी में आवाज भी उठने लगी है.बसपा से निलंबित सांसद दानिश अली, राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होकर कांग्रेस में अपनी राह तलाश रहे हैं, जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव भी माया के इस फैसले पर निराशा जता रहे हैं. बात सिर्फ दो सांसदों की नहीं है. पार्टी के इस फैसले से बसपा के ज्यादातर सांसदों के दिलों की धड़कन बढ़ गई है.कई नेे तो नया ठिकाना तलाशने की मुहिम भी शुरू कर दी है.यह वह सांसद हैं जो बसपा के इंडी गठबंधन की उम्मीद में टिके हुए थे,जिसकी अब संभावना समाप्त हो गई है.
ज्ञातव्य हो बसपा ने पिछला लोकसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था. तब उसके 10 प्रत्याशी चुनाव जीतक सांसद बने थे.सपा के साथ के बिना इन सांसदों को जीत हासिल होते नहीं दिख रही है. इसीलिए अगले लोकसभा चुनाव के लिए ज्यादातर सांसद दूसरे दलों में ठिकाना तलाश रहे हैं.इस बीच एक दो सांसदों का मायावती ने टिकट भी काट दिया है. इसी क्रम में सहारनपुर से बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान की जगह माजिद अली को लोकसभा प्रभारी घोषित किया जा चुका है.हाजी अब दूसरा सियासी ठिकाना तलाश रहे हैं. अमरोहा से सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित किया जा चुका है.उसके कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है.