परिवहन मंत्री से की पहाड़ों में जीपीएस की अनिवार्यता लागू नहीं करने की मांग
ऋषिकेश
उत्तराखंड बस ऑपरेटर्स महासंघ ने पहाड़ों में चलने वाले वाहनों में जीपीएस की अनिवार्यता लागू करने पर एतराज जताया है। महासंघ सदस्यों ने परिवहन मंत्री से पहाड़ों में जीपीएस की अनिवार्यता लागू नहीं करने की मांग की। मंगलवार को देहरादून में उत्तराखंड बस ऑपरेटर्स महासंघ ने परिवहन मंत्री चंदन राम दास को ज्ञापन सौंपा। महासंघ अध्यक्ष मनोज ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने सार्वजनिक वाहनों को जीपीएस डिवाइस 22 अप्रैल से अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए डिवाइस लगाने का आदेश दिया है। मगर यह ध्यान नहीं रखा गया कि मैदान व पहाड़ की जलवायु व भौगोलिक परिस्थिति में काफी अंतर है। पहाड़ों में अधिकांश जगह नेटर्वक की समस्या रहती है। केन्द्रीय परिवहन विभाग मैदानी क्षेत्र के हिसाब से पॉलिसी बनाकर पहाड़ी क्षेत्र को नजर अंदाज करते हैं। पहाड़ों में जीपीएस की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। पहाड़ों में चलने वाले सभी प्रकार की वाहने अभी दो साल तक कोविड मार से परेशान रहे हैं। दो साल से यात्रा नही चली है व डीजल पेट्रोल के दाम पांच सालों में दोगुना हो गया है। वाहनों के पार्टस व टायर काफी महंगे हो गए हैं। ऐसे में 10-12 हजार रुपए का जीपीएस की अनिवार्यता से वाहन मालिक परेशान हैं। उन्होंने पहाड़ों में चलने वाले वाहनों के लिए जीपीएस की अनिवार्यता खत्म करने और पुराना नियम लागू करने की मांग की। मौके पर यातायात के प्रभारी प्यारेलाल जुगलान आदि उपस्थित रहे।