सोलोमन द्वीप पर चीन को सैन्य अड्डे की इजाजत नहीं

हांगकांग

ऑस्ट्रेलिया और सोलोमन द्वीप के नेताओं के बीच बातचीत के बाद चीन के अरमानों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। सोलोमन द्वीप ने ऐलान किया है कि वह अपनी जमीन पर किसी भी विदेशी सैन्य अड्डे को मंजूरी नहीं देगा। इस ऐलान को बीजिंग के लिए बड़ी कूटनीतिक हार के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, कुछ दिनों पहले ही चीन ने बड़ी धूमधाम से सोलोमन द्वीप के साथ नए सुरक्षा समझौते का ऐलान किया था। चीन ने दावा किया था कि यह समझौता सोलोमन द्वीप में शांति और स्थिरता बनाने के उद्देश्य से एक पारस्परिक रूप से लाभकारी है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंडड और जापान ने इस समझौते को लेकर आपत्ति जताई थी।
बीजिंग और होनियारा के बीच हुए खुफिया सिक्योरिटी समझौता के ऑनलाइन लीक हुए दस्तावेजों ने हिंद-प्रशांत में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को हवा दे दी है। होनियारा द्वारा की गई पुष्टि के अनुसार, इस समझौते के अंतर्गत वे चीन को वहाँ के सामाजिक व्यवस्था के रख-रखाव के लिए जरूरी सैन्य और विधि प्रवर्तन अधिकारियों को प्रवेश की अनुमति देगा। इसने इस क्षेत्र में खतरे की घंटी बजा कर तापमान में तल्खी पैदा कर दी है और इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व संबंधी आशंकाएं प्रबल हो गई है। इस क्षेत्र में होने वाली आर्थिक गतिविधियों के कारण इंडो-पैसिफिक को वैश्विक स्तर पर ‘गुरुत्वाकर्षण का केंद्र’ के रूप में जाना गया है, जिसमें भौगौलिक तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था को कई अन्य कारणों से प्रेरित अथवा बाधित करने की क्षमता है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द चीन के बढ़ते और विस्तृत होते प्रभुत्व के भू-राजनैतिक महत्ता की।

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