पति देश पर बलिदान हो गए, खौफ में जी रही पत्नी

गाजियाबाद

23 साल पहले पाकिस्तानी सेना से कारगिल में युद्ध के दौरान बलिदान हुए नायक चमन सिंह की पत्नी पिछले पांच साल से खौफ के साए में जी रही हैं। जान का खतरा बताते हुए उन्होंने गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार से सुरक्षा की मांग की, लेकिन वह नहीं मिली। उन्होंने अब सवाल उठाया है कि यदि प्रशासन को लगता है कि उनकी जान को खतरा नहीं है तो यह बताए कि 2012 से 2017 तक उनको क्यों सुरक्षा प्रदान की गई थी?
बुधवार को गाजियाबाद स्थित कलक्ट्रेट परिसर में कारगिल शहीद एवं वीरता पुरस्कार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कारगिल युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए 13 जून 1999 को अपने प्राणों का बलिदान देने वाले नायक चमन सिंह की पत्नी शकुंतला देवी को भी बुलाया गया। राज्यमंत्री कैप्टन विकास गुप्ता ने उन्हें सम्मानित किया।
मीडिया से बातचीत करते हुए शकुंतला देवी का दर्द छलक गया, उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार ने उनको नोएडा सेक्टर-54 में पेट्रोल पंप अलाट किया था, लेकिन कंपनी को जमीन ही नहीं दी जा रही थी। इसके लिए उन्होंने जिले से लेकर लखनऊ तक आवाज उठाई, एक बार नौबत यह आ गई की आत्मदाह करने के लिए लखनऊ जाकर खुद पर पेट्रोल छिडक़ लिया।
तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने समस्या सुनी और समाधान कराया। पेट्रोल पंप खुला तो वहां पर जिस व्यक्ति को मैनेजर नियुक्त किया उसने बेईमानी कर ली, इतना ही नहीं मेरठ स्थित शहीद कालोनी में मिले एक प्लाट को भी उसी मैनेजर ने बेच दिया। मैनेजर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई, पुलिस ने उसे जेल भेजा। इसके साथ ही पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई, लेकिन 2017 में सुरक्षा हटा दी गई, तब से ही खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं।
शकुंतला देवी ने बताया कि डर के मारे वह दिन में अपने पेट्रोल पंप पर भी नहीं जा पाती हैं,प्रदेश सरकार से मांग है कि पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए, जिससे कि बेखौफ होकर आवागमन कर सकें।

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