जोशीमठ में 1976 से शुरू हो गई थी खतरे की आशंका, किसी ने नहीं लिया संज्ञानः करन माहरा

देहरादून

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कहा है कि जोशीमठ में 1976 से खतरे की आशंका शुरू हो गई थी, इस दौरान किसी ने भी इसका संज्ञान नहीं लिया है। आज कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते उन्होंने कहा कि जोशीमठ में भू धंसाव को लेकर राज्य सरकार बहुत देर में चेती है। अब मुख्यमंत्री इस मामले में बैठक लेंगे और जोशीमठ का निरीक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले ही यह निर्णय लेना चाहिए था लेकिन अब जब वहां पर लोगांे के मकानों पर दरारें पड़ गई हैं और लोग जोशीमठ छोड़कर दूसरे स्थानों या अपने गांवों की ओर रूख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूगर्भ वैज्ञानिकों की सलाह पर वर्ष 1976 में गठित मिश्रा कमेेटी की विस्तृत रिपोर्ट मे स्पष्ट रूप से जोशीमठ नगर को बचाये रखने के लिए यहां पर भारी निर्माण कार्यों पर रोक लगाये जाने की सिफारिश करने के साथ ही जोशीमठ नगर को बचाने के लिए कुछ रचनात्मक सुझाव भी दिये गये थे, परन्तु इन सुझावों पर अमल न करने के कारण आज जोशीमठ नगर का अस्तित्व संकट में पड़ गया है। उन्हांेने कहा कि सरकार को वहां के निवासियों का तत्काल प्रभाव से विस्थापन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र मे लगातार घट रही भू-स्खलन की घटनाओं से सैकड़ों आवासीय मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं तथा कभी भी भयावह त्रासदी से होने वाली जनहानि का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति एवं स्थानीय जनता द्वारा लगातार आन्दोलन के माध्यम से राज्य सरकार से उचित कदम उठाये जाने की मांग की जा रही है। इस अवसर पर हल्द्वानी बनफूलपुरा मामले में उन्होंने कहा कि दुर्भावना के तहत चार बस्तियों को सर्वे से बाहर रखा गया जोकि भाजपा की सोची समझी साजिश थी। इस अवसर पर वार्ता में अनेक कांग्रेसजन शामिल रहे।

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