ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के रोक के आदेश का स्वागत कर सरकार की मंशा पर उठाया सवाल

देहरादून,

उत्तराखंड राज्य में लोगों को बेघर करने की प्रक्रिया और खासतौर पर हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में बन गई स्थिति पर राज्य भर में किए गए आह्नान पर देहरादून में विपक्षी दलों एवं जन संगठनों की ओर से प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुख्यमंत्री के नाम पर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने उच्चतम न्यायालय के रोक के आदेश का स्वागत करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाया, और चेतावनी भी दी कि ऐसी ही स्थिति देहरादून और राज्य के अन्य इलाकों में बनने की पूरी सम्भावना है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में बार बार सरकार कानूनी पक्ष और जमीनी हकीकत को छुपाती है, और फिर न्यायलय के फैसले के बहाने लोगों को बेदखल करने की कोशिश करती है। ज्ञापन में कहा गया कि यही स्थिति बनभूलपुरा के केस में और देहरादून से सम्बंधित याचिकाओं में भी दिखी है। फिलहाल उच्चतम न्यायालय ने इस निर्णय पर रोक लगा दी है, इस का हम स्वागत करते हैं। लेकिन फिर भी राज्य सरकार की जिमेदारी बनती है कि वह ऐसे राय न ले और अपने नागरिकों के हित में नीतियां बनाए। ज्ञापन में कहा गया कि सभी इस बात को भी लाना चाह रहे हैं कि यह स्थिति सिर्फ हल्द्वानी में नहीं, बल्कि पूरे राज्य में बन रही है। सरकार के जन विरोधी कदमों की वजह से कुछ सालों से और खासतौर पर 2022 से लगातार राज्य में बार बार लोगों को बेघर किया जा रहा है। इस अवसर पर ज्ञापन में हस्ताक्षरकर्ताओं ने यह भी कहा कि उत्तराखंड राज्य में एक तरफ लोगों को बेघर किया जा रहा है और दूसरी तरफ राज्य में पर्यावरण के नियमों और वन अधिकार कानून पर अमल न कर सरकार बड़ी परियोजनाओं और बिल्डरों के गैर कानूनी कामों को लगातार बढ़ावा दे रही है। इस अवसर पर ज्ञापन में कहा गया कि पर्यावरण के नियमों को अनदेखी करने की वजह से ही अभी जोशीमठ में आपदा की स्थिति बन रही है। इस अवसर पर राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।

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