मौसम के प्रभाव से प्रयागराज में इलाहाबादी अमरूद बहुत कम: वर्मा

सभी प्रकार के प्रदूषण को बढऩे से रोकते हैं वृक्ष

प्रयागराज

उद्यान के घटते दायरे को देखकर मौसम ने भी अपना मिजाज प्रयागराज की बाजारों में दिखाना शुरू कर दिया है। जिसका परिणाम है कि इलाहाबादी अमरुद बहुत कम दिखाई दे रहे हैं। पहले नवम्बर शुरू होते ही सेबी अमरुद की बाजारों में भरमार हो जाती थी लेकिन पिछले लगभग दो वर्षों से ऐसा नहीं हो रहा।
यह बातें मुख्य अतिथि पूर्व मंडलायुक्त आर.यस वर्मा ने औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग में रविवार को पर्यावरण दिवस पर साहित्यांजलि प्रज्योदि के सहयोग से आयोजित प्रकृति से “परा प्रकृति की ओर” विषयक संगोष्ठी में कही। उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए अधिक चिंता की बात है कि शहर में अमरुद के अभाव को पूरा करने के लिए दूसरे शहर से अमरुद प्रयागराज में आते हैं और आसमान चूमती कीमत मे लोगों को खरीदना पड़ता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उद्यान प्रभारी विजय किशोर सिंह ने कहा कि पर्यावरण में होने वाले सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने का काम वृक्ष ही करते हैं। इसलिए केवल पर्यावरण दिवस के दिन ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष वृक्षों को लगाना चाहिए तथा उनकी सेवा भी करते रहना चाहिए। यह वृक्ष हमारे जीवन के लिए बहुत ही मूल्यवान है। उन्होंने अपने वक्तव्य में भूमि की उर्वरता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जमीन में केचुआ खत्म हो रहे हैं जो भूमि की उर्वरता को बनाने में हमें सहयोग करते थे। इसी तरह कछुआ भी हमारे लिए प्रदूषण को कम करने में सहायक होते थे।
विशिष्ट अतिथि आचार्य पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा कि हम जिन प्रकृति पर विचार करते हैं वह पंचमहाभूत के रूप में हमारे अंतर्मन में है। यह प्रथम विषय है कि हम उसका बोधन कर अपने ही साथ बल प्रयोग करते आ रहे हैं। आज क्रांति की आवश्यकता है कि प्रकृति शोषण और दोहन को कब तक सहते रहेंगे। संस्था अध्यक्ष डॉ प्रदीप चित्रांशी ने पीपल की उपयोगिता के साथ हुई शनि अमावस्या पर बरगद के वृक्ष की पूजा के महत्व को बताया। डॉ वत्सला मिश्रा, डॉ सुधीर चित्रांशी, डॉ धर्मेंद्र प्रताप त्रिपाठी, सुनील मिश्रा, केशव सक्सेना, सविता एवं सरिता मिश्रा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी के समापन उपरांत मौलश्री का वृक्ष लगाकर पर्यावरण संतुलन के लिए एक संदेश देने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम का संचालन रवि मिश्रा ने किया।

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