मत्स्य विविधता और संरक्षण पर कार्यशाला हुई
नई टिहरी
हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाही थौल में जंतु विज्ञान विभाग की ओर से शीत जलीय मत्स्य विविधता, उनकी पहचान और संरक्षण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें प्रतिभागियों को पर्वतीय क्षेत्रों के जलस्रोतों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार मत्स्य प्रजातियों की पहचान एवं उनके संरक्षण का तकनीकी एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला का संचालन डा रवींद्र ने किया। जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एनके अग्रवाल व कैंपस निदेशक प्रो. एमएमएस नेगी ने सभी प्रतिभागियों को स्वागत किया। कैंपस निदेशक प्रो. एमएमएस नेगी ने छात्रों को कार्यशाला की महत्ता पर संक्षिप्त विवरण दिया। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में उपरी गंगा नदी तंत्र में मत्स्य प्रजातियों की वर्तमान स्थिति, उनकी पहचान और उनके संरक्षण के विषय में प्रो एनके अग्रवाल ने विस्तार से जानकारी दी। जम्मू-कश्मीर से आये मुख्य वक्ता डा. गुरनाम सिंह ने मत्स्य प्रजातियों के पहचान के लिए विभिन्न तकनीकी तरीकों पर प्रकाश डाला गया। भागीरथी एवम अलकनंदा नदी की मत्स्य प्रजातियों की पहचान का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। डा. रवींद्र सिंह ने पर्वतीय क्षेत्रों के शीत जलीय धाराओं में पाई जाने वाली मत्स्य प्रजातियों के विभिन्न लक्षणों को बताते हेतु मत्स्य संपदा के विकास एवं संरक्षण के लिए जन संवेदना एवं जागरूकता की आवश्कता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि भूमि की कमी को देखते हुए पर्वतीय जल स्रोतों में मत्स्य संपदा के विकास एवं संतुलित वैज्ञानिक दोहन के तहत स्थानीय आबादी के लिये उच्च पोषण युक्त भोजन की कमी को दूर किया जा सकता है।