‘लैंगिक संवेदनशीलता’ पर जागरूकता सत्र आयोजित

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विवि में ‘लैंगिक संवेदनशीलता’ पर जागरूकता सत्र आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि आज समाज में महिलाएं सशक्त हो रही हैं। शिक्षण, चिकित्सा, अंतरिक्ष, खेल आदि अनेक ऐसे क्षेत्र हैं। जहां महिलाओं ने अपनी प्रतिभा से यह सिद्ध किया है। कि वह किसी भी रूप में पुरुषों से कम नहीं हैं। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के अधिकारी बतौर विषय विशेषज्ञ डॉ. दीपक दीक्षित ने कहा कि यह एक आम धारणा है कि लैंगिक संवेदनशीलता का अर्थ महिलाओं के विषय में बात करने से लोग समझ लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें इस धारणा को तोड़ना होगा। लैंगिक जागरूकता एक सामाजिक मुद्दा है। जो केवल महिलाओं के संदर्भ तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अरुण नौटियाल ने सत्र की सार्थकता पर कहा कि आज बहुत आवश्यकता है कि हम लैंगिक समानता जैसे मुद्दों के कारण जानने एवं उन्हें समझने का प्रयास करें, जिससे कि उन्हें हल किया जा सके। प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. विनय सेठी ने कहा कि आज देश के हर आयु वर्ग के व्यक्ति को लैंगिक संवेदनशीलता के विषय में जागरूक करने की आवश्यकता है। शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नारायण मिश्र ने लैंगिक समानता के अर्थ एवं संविधान में इसकी स्थिति को प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में उप कुलसचिव दिनेश कुमार, डॉ. प्रतिभा शुक्ला, डॉ. कामाख्या कुमार, प्रो. दिनेश चंद्र चमोला, डॉ. उमेश कुमार शुक्ला, डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी, डॉ. दामोदर परगई, डॉ. विनदुमती द्विवेदी, डॉ. प्रकाश चंद्र पंत, मनमीत कौर, डॉ. रतन लाल, डॉ. रामरतन, मनोज गहतोड़ी, डॉ. हरीश चंद्र तिवारी, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, महेंद्र सिंह रावत, राकेश सिंह, उम्मेद सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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