वन अनुसंधान संस्थान में दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ
देहरादून
भारतीय वानिकी अनुसंधान संस्थान एवं शिक्षा परिषद विश्व बैंक की पोषित परितंत्र सुधार परियोजना के तहत भूमि प्रबंधन के लिए कृषि वानिकी पर गुरुवार से राष्ट्रीय कार्यशाला कर रहा है। यह कार्यशाला शुक्रवार तक चलेगी।
राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य उपयुक्तकरण नीतियों फ्रेम को विकसित कर कृषि वानिकी के विकास के लिए मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करना है। भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आवश्यक नीतिगत समग्र उपलब्ध कराना है। भारत जैसे विविधता वाले देश में मरूस्थलीयकरण और भूमि क्षरण के सतत विकास लक्ष्यों का मुकाबला कर अभिनव भारत को संसाधन कुशल और कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था की ओर स्थानान्तरित करना है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ पर्यावरण और वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के विशेषज्ञ, वन विभाग और वानिकी तथा कृषि अनुसंधान से जुड़े विभिन्न संगठन इस कार्यशाला में हिस्सा ले रहे हैं। इस विषय पर डॉ. रेनू सिंह निदेशक वन अनुसंधान संस्थान ने कार्यशाला के मुख्य अतिथि और प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा महत्वपूर्ण जानकारी दी।
विश्व बैंक के वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनुपम जोशी ने इस अवसर पर कहा कि कृषि वानिकी देश के प्राकृतिक वन आवरण के संरक्षण के साथ-साथ सकल घरेलू उत्पादन में वन और वृक्षों के आवरण के योगदान को बढ़ाती है। कृषि वानिकी की जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए तथा भूमि क्षरण रोकने एवं जैव विविधता संरक्षण में पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना संगोष्ठी का अहम उद्देश्य है। संस्थान के महानिदेशक अरुण सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि वन क्षेत्र भारत में कार्बन डाई ऑक्साइड का शुद्ध शोषण करता है। भारत के कुल ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का 15 प्रतिशत शोषण करते हैं। वन अपेक्षाकृत महत्वपूर्ण लाभों के साथ-साथ कम लागत जलवायु परिवर्तन शमन अवसर प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी देश के हरित क्षेत्र को बढ़ाने और किसानों के लाभ को दोगुना करने में महत्वपूर्ण है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक भरत ज्योति ने कहा कि वन परितंत्र के प्राकृतिक संंतुलन को बनाने में अहम है। देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कुछ परिवर्तनकारी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए बहुत पादपीय कृषिकरण सर्वोत्तम प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है जो सतत विकास में एक है।