परिवहन व्यवसायियों ने मुख्य सचिव व परिवहन विभाग का पुतला जलाया
देहरादून
उत्तराखण्ड विक्रम ऑटो परिवहन महासंघ से जुड़े परिवहन व्यवसायियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार की परिवहन नीतियों के विरोध में प्रदर्शन करते हुए मुख्य सचिव व परिवहन विभाग का पुतला फूंककर अपना विरोध दर्ज किया। आज उत्तराखण्ड विक्रम ऑटो परिवहन महासंघ से जुडे हुए परिवहन व्यवसायी परिवहन नीतियों के विरोध में लैंसडाउन चौक पर इकटठा हुए और वहां पर राज्य सरकार, मुख्य सचिव व परिवहन विभाग के खिलाफ जमकर प्रदर्शन करते हुए पुतले को आग के हवाले कर दिया। इस अवसर पर महासंघ के महामंत्री इन्द्रजीत कुकरेजा ने कहा कि राज्य सरकार वर्तमान में ऑटों, विक्रम एवं डीजल चालित वाहनों को बन्द करने से प्रदेश के हजारांे लोग बेरोजगार होने की कगार में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 15 साल का समय दिया था लेकिन सरकार अपने वायदे से मुकर रही है। उन्होंने कहा कि लगातार इसका विरोध किया जायेगा। इस अवसर पर महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि ऑटो और टैम्पो विक्रम को मार्च 2023 में समाप्त की बाध्यता को निरस्त किया जाना चाहिए और हर जिले में क्षमतानुसार एक या दो सेंटर खोले जायें, और जब तक हर जिल में क्षमतानुसार फिटनेस सेंटर नहीं खुल जाये तब तक आरटीओ की पुरानी व्यवस्था बहाल रखी जाये। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन को बहाल रखा जाये, सरकार दून में सेंटर खोलने की अनुमति दे। हम परिवहन व्यवसायी फिटनेस सेंटर खुद ही खोलने के लिए तैयार हैं। डोईवाला लालतप्पड़ में फिटनेस सेंटर खोला गया है उसे बंद किया जाये। सभी परिवहन व्यवसायी उसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आगामी एक मार्च से सिटी बसों एवं विक्रमों को बाहर का रास्ता दिखा रही है जिन्हें क्रमशः 15 वर्ष एवं सात वर्ष की अवधि हो चुकी है। इस अवसर पर परिवहन व्यवसायियों ने कहा कि सरकार ने वर्तमान में विक्रम की अवधि सात वर्ष एवं सिटी बसों की अवधि 15 वर्ष रखी है जो कि निराधार है। उन्होंने कहा जबकि उच्च न्यायालय के सिंगल व डबल बैंच ने सरकार के इस अव्यवहारिक निर्णय को निरस्त किया है। उनका कहना है कि सरकार उच्च न्यायालय के आदेशों का भी पालन नही कर रही है जिससे ऑटो चालक संगठन सड़कांे पर उतरकर अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर संघर्ष करने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि सरकार खुलेआम कानून का मखौल उड़ा रही है। उन्होंने कहा कि कोराना काल मेें ऑटो व सिटी बसों के मालिकों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जनता की सेवा की है तथा अधिकांश ऑटो, विक्रम, सीटी बस मालिकों ने बैंकों से ऋण लेकर वाहन खरीदे हुए हैं और उन्हें बेरोजगार करने पर तुली हुई है। इस अवसर पर अनेक परिवहन व्यवसायी शामिल रहे।